विधानसभा चुनाव / पश्चिम से पूरब सरयू की धार, रघुवर के घाट पर बिहारियों के भरोसे अर्घ्य‌दान!

जमशेदपुर (ललित दुबे). पश्चिमी जमशेदपुर से टिकट मिलने में संशयों के बीच मंत्री सरयू राय के नए पैंतरे ने पूर्वी जमशेदपुर विधानसभा क्षेत्र की सियासी गर्मी में एकाएक उबाल ला दिया है। उन्होंने शनिवार काे टेल्काे के भुवनेश्वरी मंदिर में पूजा-अर्चना की। फिर मीडिया से यह कहकर अपने इरादों का खुलासा कर दिया कि वे पश्चिमी जमशेदपुर से चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा करते हुए भाजपा के शीर्ष नेताओं को प्रत्याशी चयन के दबाव से मुक्त करना चाहते हैं।


इस घोषणा के बाद उन्होंने पार्टी समर्थकों के साथ करीब चार घंटे तक भाजपा प्रत्याशी रघुवर दास के गढ़ में जनसंपर्क किया। साथ ही पार्टी के अन्य कद्दावर नेताओं से भी मिले। मंत्री राय मूलत: बिहार के रहने वाले हैं। उनका पश्चिम से पूरब की ओर रुख करने के कई मायने हैं। पूर्वी जमशेदपुर में बिहारियों के अलावा अगड़ी जाति के ऐसे 70 हजार वोटर हैं, जो भाजपा के काेर वोटर हैं। इसलिए इस सीट से लड़ने की स्थिति में सरयू का निशाना इन कोर वोटरों पर होगा। साथ ही रघुवर दास से नाराज चल रहे भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं का साथ भी उन्हें मिल सकता है। 



भाजपा की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
सरयू के इस क्षेत्र से चुनाव लड़ने की संभावनाओं से जमशेदपुर पश्चिमी के टिकट की राजनीति अब जमशेदपुर पूर्वी की नई धुरी बनती दिख रही है। लगातार 30 वर्षों से इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है। रघुवर दास 25 साल से विधायक हैं। इधर, ऐसी भी संभावनाएं बन रही हैं कि भाजपा का सियासी किला ध्वस्त करने के लिए कांग्रेस-झामुमो महागठबंधन सरयू राय का समर्थन कर सकता है। ऐसी भी संभावना है कि झाविमो भी अपने घोषित प्रत्याशी को बैठा ले। 


86 बस्ती का मालिकाना हक बनेगा मुद्दा 
1995 के चुनाव में भाजपा ने दीनानाथ पांडे का टिकट काटकर रघुवर दास को प्रत्याशी बनाया। रघुवर ने इसेे जीत में तो बदला ही, जमशेदपुर पूर्वी को भाजपा का किला बना दिया। रघुवर ने पहली बार कांग्रेस के केपी सिंह को सिर्फ 1101 मतों से हराया था। इसके बाद 2000 में भी कांग्रेस के केपी सिंह को 47,963 मतों से पटखनी दी। 2005 में रघुवर को कड़ी लड़ाई का सामना करना पड़ा। वे 18,398 मतों से जीते। 2009 में उन्हाेंने अपने राजनीतिक विरोधी झाविमो के अभय सिंह को 22,963 मतों से हराया। वहीं 2014 में रिकाॅर्ड बनाते हुए कांग्रेस के आनंद बिहारी दुबे को 70,157 मतों हराकर अपनी बादशाहत साबित की। 
 


रघुवर के राजनीतिक विरोधी हो रहे एकजुट 
बदले हालात में रघुवर के राजनीतिक विरोधी भी एकजुट होने लगे हैं। अंदरखाने में यह चर्चा है कि विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में एकतरफा निर्णय से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा व उनके समर्थक नाराज हैं। इधर सरयू मामले से तल्ख हुई जमशेदपुर भाजपा की राजनीति के कारण 5 वर्षों में पार्टी में दरकिनार जमीनी कार्यकर्ताओं व पुराने भाजपाइयों की सक्रियता बढ़ गई है। जनसंपर्क के दौरान सरयू के साथ टेल्को में अर्जुन मुंडा के करीबी रतन महतो नजर अाए।


पहली बार 1101 मतों से जीते थे रघुवर दास 
1995 के चुनाव में भाजपा ने दीनानाथ पांडे का टिकट काटकर रघुवर दास को प्रत्याशी बनाया। रघुवर ने इस मौके काे जीत में बदलने के साथ ही जमशेदपुर पूर्वी को भाजपा का किला बना दिया। रघुवर दास ने पहली बार करीबी लड़ाई में कांग्रेस के केपी सिंह को महज 1101 मतों से हराया था। इसके बाद वे राजनीति में परिपक्व होते हुए और वर्ष 2000 में कांग्रेस के केपी सिंह को 47,963 मतो के भारी अंतर से पटखनी दी। हैट्रिक लगाने उतरे रघुवर दास को 2005 में कड़ी लड़ाई का सामना करना पड़ा। इस बार वे 18,398 मतों से जीते। 2009 में उन्हाेंने अपने राजनीतिक विरोधी झाविमो के अभय सिंह को 22,963 मतों से हराया। वहीं 2014 में रिकाॅर्ड बनाते हुए कांग्रेस के आनंद बिहारी दुबे को 70,157 मतों हराकर अपनी बादशाहत साबित की।